रक्त की कमी
रक्त की कमी को अनीमिया (Anemia / उच्चारण = अ-नी-मिया)
के नाम से जाना जाता है। रक्त की कमी होने से शरीर के विभिन्न अंगों को ऑक्सिजन की
पूर्ति नहीं हो पाती, क्योंकि ऑक्सिजन रक्त कोशिकाओं द्वारा
ही पहुंचाई जाती है। रक्त की कमी वस्तुतः लौह (Iron) पदार्थ
की कमी से होती है। लौह से हीमोग्लोबिन (Haemoglobin)
विकसित होता है, जो लौह युक्त प्रोटीन है और रक्त को उसकी
लालिमा प्रदान करता है। यह हीमोग्लोबिन ही ऑक्सिजन को फेफड़ों से शरीर के सभी भागों तक
पहुंचाता है।
लौह की कमी के कारण इस प्रकार हैं
- अत्यधिक माहवारी
- गर्भावस्था
- पेट में घाव (Ulcers in stomach)
- आँतों में गाँठें अथवा घातक रोग (Colon polyps or colon cancer)
- वंशानुगत रोग
- भोजन में लौह, विटामिन B १२ अथवा फॉलिक एसिड की मात्रा की कमी
- रक्त संबंधी रोग जैसे sickle cell anemia और thalassaemia या प्राण-घातक(cancer) रोग
- Aplastic anemia
रक्त की कमी रोगी को कमजोरी, ढीला बना देती है, सिर में चक्कर आना अथवा चिड़चिड़ाहट भी इसी के लक्षण हैं। रक्त की जांच
द्वारा रक्त की कमी के बारे में पता लगाया जा सकता है। यह रोग कई प्रकार का होता
है और उसका उपचार भी उस के प्रकार पर निर्भर करता है।
अनीमिया रोग क्या है?
अनीमिया रोग अर्थात रक्त की कमी ऐसा रोग है जिसमें आपके के
रक्त में लाल रक्त कोशिकाएं सामान्य से कम मात्रा में पाई जाती हैं। लाल रक्त
कोशिकाओं में हीमोग्लोबिन की मात्रा की कमी से भी अनीमिया पाया जाता है। रक्त की
अत्यधिक कमी अथवा अधिक समय तक अनीमिया होने पर हृदय, मस्तिष्क एवं शरीर के
अन्य अंगों को हानि पहुँच सकती है। भीषण अनीमिया घातक भी हो सकता है।
लाल रक्त कोशिकाएं, श्वेत रक्त कोशिकाएं,
तश्तरीनुमा कोशिकाएं (platelets) एवं द्रव्य पदार्थ, इन सभी के सम्मिलित रूप को रक्त कहते हैं। लाल रक्त कोशिकाएं अपने साथ
ऑक्सिजन को विभिन्न अंगों तक ले जाती हैं और कार्बन-डाई-ऑक्साइड को उन अंगों से
निकालती हैं। ये कोशिकाएं हड्डियों की मज्जा (bone marrow)
में विकसित होती हैं।
श्वेत कोशिकाएं एवं तश्तरीनुमा कोशिकाएं भी मज्जा में ही
विकसित होती हैं। श्वेत कोशिकाएं संक्रमण रोधी (resistance against infection)होती हैं। तश्तरीनुमा कोशिकाएं आपस में जुड़ कर धमनियों में कटाव अथवा रक्त
के रिसाव पर थक्का (blood clot) बना उसे रोक देने में सहायक
होती हैं। एक विशेष अनीमिया में इन तीनों प्रकार की कोशिकायों की कमी हो जाती है।
अनेक प्रकार के अनीमिया रोग कम प्रवत्ति, छोटे
समय के लिए प्रकट होते हैं और उनका आसानी से उपचार हो जाता है। कुछ प्रकार के
अनीमिया की रोक तो केवल पौष्टिक भोजन से ही संभव है। अन्य का उपचार खाद्य पदार्थों
से संभव है। कुछ प्रकार के अनीमिया गंभीर रूप दर्शाते हैं, यदि
उनका निदान एवं उपचार नहीं हुआ तो वे अधिक अवधि तक सताते,
गंभीर और घातक भी हो सकते हैं।
यदि आपको रक्त की कमी / अनीमिया के लक्षण हैं, अपने चिकित्सक से सुनिश्चित करने के लिए परामर्श अवश्य करें।
अनीमिया के कई अन्य प्रकार हैं जो किसी विशेष कारण से उत्पन्न होते हैं। इनमें से कुछ निम्नलिखित हैं :
·
Aplastic अनिमिया
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रक्त के बहाव से
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Fanconi अनीमिया
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Folic एसिड की कमी से अनीमिया
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Hemolytic (रक्त के नष्ट होने से)अनीमिया
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लौह रहित अनीमिया
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Pernicious (घातक) अनीमिया
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Sickle अनीमिया
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Thalassemia
अनीमिया रोग क्यों होता है ?
इस के तीन मुख्य कारण हैं :
1.
रक्त का रिसाव / बहाव
2.
नवीन लाल रक्त कोशिकाओं कम उत्पादन होना
3.
नवीन लाल रक्त कोशिकाओं के बनने की मात्रा से अधिक मात्रा में
उनका नष्ट होना
किंचित व्यक्तियों में इन सभी कारणों के मिलेजुले प्रभाव को
देखा जाता है।
रक्त का रिसाव
रक्त का अत्यधिक रिसाव अनीमिया का मुख्यतम कारण है, मुख्यतया
लौह रहित अनीमिया का। रक्त का रिसाव कुछ समय अथवा अधिक समय तक हो सकता है।
अत्यधिक माहवारी अथवा पाचक तंत्र या मूत्र तंत्र में बजी
रक्त का रिसाव की संभावना है। शल्य चिकित्सा, घाव में से रिसाव अथवा प्राण-घातक (cancer) रोग भी रक्त रिसाव के कारण हैं। अत्यधिक रिसाव के कारण अंततः अत्यधिक मात्र में लाल रक्त कोशिकाओं
की हानि से अनीमिया उत्पन्न हो जाता है।
लाल रक्त कोशिकाओं का कम उत्पादन होना