/> swaasthya: February 2012

Sunday 5 February 2012

मधुमेह - भाग २

मधुमेह की मूल जानकारी के लिए पढ़ें मधुमेह पर लेख 


अपने चिकित्सक से प्रत्येक भेंट में -
  • रक्तचाप की जांच कराएं 
  • पाँव की जांच कराएं 
  • वजन की जांच कराएं 
  • अपनी दिनचर्या एवं दवायों की चर्चा करें 
  • हर छमाही में A1C की जांच कराएं 
  • हर वर्ष कोलेस्ट्रॉल की जांच कराएं 
  • हर वर्ष दंत चिकित्सक से जांच कराएं 
  • हर वर्ष नेत्रों का परीक्षण करवाएँ 
  • हर वर्ष मूत्र की जांच करवाएँ  
स्वस्थ व्यक्ति के रक्त में ग्लूकोज की मात्रा कितनी होनी चाहिए ?
भोजन से पहले ७० और १०० मिग्रा प्रतिशत (mg%) के  मध्य एवं भोजनोपरांत ( भोजन शुरू करने से 1 या 2 घंटे बाद) १८० मिग्रा प्रतिशत से कम
क्या करें यदि आप इंसुलिन का सेवन करते हैं
  • अपने भोजन को यथावत खाएं
  • भोजन छोड़ें और इंसुलिन ले चुके हों तो ऐसी स्थिति में तो बिल्कुल नहीं, अन्यथा आपका का ग्लूकोज सामान्य स्तर से भी घाट जाएगा। 
 क्या करें यदि आप इंसुलिन का सेवन नहीं करते हैं
  • अपने भोजन को नियमानुसार ग्रहण करें 
  • अपनी दवाओं को समय के अनुसार लेते रहें।  भोजन लेने का क्रम तोड़ें, क्योंकि आपका ग्लूकोज का स्तर सामान्य से भी घाट जाएगा। पूरे दिन में   अथवा बार खाने के बदले में थोड़ा-थोड़ा कई बार खाएं। 
शारीरिक रूप से गतिशील बने रहें 
शारीरिक गतिविधि हमें स्वस्थ रहने में मदद करती है। पैदल टहलना, घुड़सवारी, तैराकी, नृत्य, साइकल चलना, खेलना आदि सभी में से आपको मन को जो भाए उस को अपनाएं। आप यदि अपने बगीचे को साफ करें तो वह भी एक व्यायाम है। मधुमेह के रोगियों को खासकर शारीरिक क्रिया लाभकारी है क्योंकि
  • वजन नहीं बढ़ता
  • इंसुलिन का ग्लूकोज पर असर बढ़ जाता है 
  • हृदय एवं फेफड़ों के लिए लाभकारी है
  • शरीर में ताकत और स्फूर्ति आती है 
व्यायाम आरंभ करने से पहले अपने चिकित्सक से परामर्श अवश्य करें। वे आपके के पैरों, हृदय की सक्षमता की जांच कर सकते हैं, जिससे आपको पता लगेगा की आप कैसी और कितनी देर तक इस क्रिया को कर सकते हैं। उच्च  रक्तचाप एवं नेत्र के कुछ रोगियों को भारोत्तोलन जैसे खेल वर्जित हैं। प्रतिदिन कम से कम ३० मिनट अवश्य क्रियाशील रहें। यदि आप शुरुआत करने जा रहें हैं तो धीरे-धीरे अपने गति और समय बढ़ाएँ। / १० मिनट से आरंभ करें और इसे बहुत धीरे -धीरे कुछ दिनों के अंतराल के बाद बढ़ाएँ, फिर उस को फिर एक अंतराल के बाद बढ़ाएँ। यदि आप मधुमेह के लिए दवाएं लेते हैं, ऐसी स्थिति में आपको व्यायाम से पहले नाश्ता लेने की सलाह दी जा सकती है। व्यायाम से पहले अपना ग्लूकोज जांच लें, यदि यह १०० से कम हो तो नाश्ता कर लें और फिर व्यायाम करें।
     
व्यायाम - यदि आप इंसुलिन लेते हों 
  • व्यायाम के आरंभ करने से पहले अपने चिकित्सक से अवश्य परामर्श लें
  • अपने ग्लूकोज की जांच व्यायाम से पहले, व्यायाम के दौरान एवं समाप्ति पर करें , यदि आपका ग्लूकोज अधिक हो अथवा रक्त या मूत्र में कीटोन (Ketones) हों तो व्यायाम करना वर्जित है
  • सोने के समय व्यायाम करें अन्यथा नींद में ग्लूकोज की मात्र घाट सकती है। 
     व्यायाम - यदि आप इंसुलिन नहीं लेते हों 
  • व्यायाम के आरंभ करने से पहले अपने चिकित्सक से अवश्य परामर्श लें
  • अपने परामर्शदाता से पूछें की क्या आप बिना नाश्ता किए व्यायाम कर सकते हैं 
अपनी दवाओं का सेवन समयानुसार करते रहें 
मधुमेह की चिकित्सा 3 प्रकार की है - इंसुलिन को सुई द्वारा लेना, गोलियां अथवा अन्य प्रकार की सुइयां।
Type 2
मधुमेह के रोगी दवा की गोलियों से अपने ग्लूकोज को नियंत्रण में रखते हैं।
     
यदि आप मधुमेह के लिए गोलियां लेते हों
आपका शरीर इंसुलिन बनाता है परंतु उसकी मात्र हमारे ग्लूकोज को नियंत्रित करने में सक्षम हो तब गोलियों की आवश्यकता पड़ती है। इन गोलियों को दिन में एक या एक से अधिक बार लेना पड़  सकता है। आपके चिकित्सक आपको इसकी अधिक जानकारी दे सकते हैं। इन दवाओं से यदि कोई घबराहट या समस्या हो अपने चिकित्सक को अवश्य बताएं।  यदा कदा इन दवाओं को लेने वाले रोगियों को कुछ दिनों के लिए इंसुलिन की  सलाह भी दी जा सकती है। यदि आप गंभीर रूप से बीमार हों अथवा आप शल्य चिकित्सा करवाने वाले हों तब गोलियां ग्लूकोज पर अपना प्रभाव खो देती हैं।
यदि आप इंसुलिन लेते हों
आपका शरीर इंसुलिन का उत्पादन नहीं कर पाता अथवा वह आपके शरीर की जरूरत को पूरा नहीं कर पाता। Type 1 मधुमेह के रोगियों का इंसुलिन की सुइयों द्वारा इलाज होता है और ऐसा कुछ Type 2 मधुमेह के रोगियों के संदर्भ में भी सही माना जाता है। कुछ गर्भावस्था मधुमेह से पीड़ित रोगियों को भी इंसुलिन की सलाह दी जाती है। आपको इंसुलिन अपने रक्त में ग्लूकोज को नियंत्रण में रखने के लिए आवश्यक हो सकता है।
आपके चिकित्सक आपको इंसुलिन के प्रयोग की विधि की जानकारी देंगे
·       इंसुलिन को सुइयों द्वारा शरीर में लगाना। एक सिरिंज के भीतर कथित मात्रा में इंसुलिन को भरकर उसे शरीर में सुई द्वारा पहुंचाना। कुछ व्यक्ति एक कलम रूपी यंत्र का प्रयोग करते हैं, इंसुलिन समाप्त होने पर उसके भीतर के खाली नलिका के स्थान पर भरी नलिका लगा देते हैं।
·       इंसुलिन की पिचकारी (पम्प) का प्रयोग। इसे कमर की पेटी या जेब में रखा जाता है, इसके भीतर इंसुलिन भरी होती है। पिचकारी एक प्लास्टिक की नली से एक सुई तक इंसुलिन को पहुंचता है और फिर शरीर में प्रबेश करवाता है। यह सुई त्वचा पर कई दिनों तक लगी रहती है।
·       अत्यधिक दबाव से इंसुलिन का प्रयोग (Pressure Jet Injector)। इसमें हवा के दबाव से इंसुलिन को शरीर में पहुंचाया जाता है, सुई का प्रयोग नहीं होता।  
यदि आप अन्य सुई वाली दवाइयाँ का प्रयोग भी कर रहे हैं
कुछ रोगियों को इंसुलिन के अतिरिक्त अन्य दवाइयाँ सुई के द्वारा शरीर में भेजनी पड़ती हैं।यह दवाएं इंसुलिन के बदले में नहीं होती।
यदि आप इंसुलिन,गोली अथवा अन्य दवा नहीं ले रहे
Type 2 से पीड़ित बहुत से व्यक्तियों को दवाओं की आवश्यकता नहीं होती। वे भोजन की विधि एवं व्यायाम से ही अपने ग्लूकोज पर नियंत्रण केर लेने में सफल होते हैं।
अपने ग्लूकोज की जांच नियमित जांच कराएं
आप जानना चाहेंगे कि आपका ग्लूकोज कितना नियंत्रित है, इसकी एक विधि है    
रक्त में ग्लूकोज का परीक्षण। यदि आपका ग्लूकोज बहुत अधिक या बहुत कम हुआ तब आपको अपने भोजन विधि, व्यायाम अथवा दवाइयों में बदलाव लाना पड़ सकता है। इस जांच से पता चलेगा की आपके इलाज की विधि कितनी कारगर है। अपने चिकित्सक से जांच की जानकारी लें, कि कितनी बार और कितने अंतर पर जांच हो। कुछ रोगियों को प्रतिदिन और कुछ को दिन में अनेक बार जांच करनी पड़ती है। आप चाहें तो खाना खाने से पहले, खाने के बाद, सोने से पहले एवं मध्यरात्रि में जांच करें। अपने चिकित्सक अथवा परिचारिका से जांच की विधि अच्छे से सीख लें, वे आपको को घर पर glucometer द्वारा जांच करना सिखा देंगे। आपको इसके अतिरिक्त A1C की जांच भी करवानी चाहिए।
मधुमेह के लिए अन्य परीक्षण
कीटोन की जांच – यदि आप गंभीर रूप से बीमार हैं अथवा आपका ग्लूकोज 240 मिग्रा % से अधिक है तब आपको रक्त या मूत्र में कीटोन की जांच करनी चाहिए। जब आपका शरीर ग्लूकोज के स्थान पर वसा को ऊर्जा के लिए उपयोग करे तब कीटोन की उत्पत्ति होती है। कीटोन आपकी स्थिति और खराब कर सकते हैं, और संभावना है कि रक्त में अम्ल / तेजाब कि मात्रा बढ़ जाए (ketoacidosis)। ऐसी दशा में इलाज न हुआ तो प्राणघातक भी हो सकती है। इसमें रोगी को कमजोरी, उल्टियाँ, श्वांस कि तेज गति और श्वांस में गंध का आभास होता है। इस अवस्था का अधिकांशतः Type 1 मधुमेह के रोगियों को सामना करना पड़ता है। आपके चिकित्सक के पास कीटोन की जांच की विधि की जानकारी उपलब्ध होगी।
A1C की जांच – रक्त में ग्लूकोज की अन्य विधि है, इससे बीते हुए २-३ महीनों में ग्लूकोज के औसतन स्तर की जानकारी मिलती है। हर ६ महीनों के अंतराल पर इस जांच को करवाएँ। ७ या उससे कम के स्तर दर्शाता है कि आपका इलाज बढ़िया चल रहा है एवं आपका ग्लूकोज नियंत्रण में है, परंतु यदि ७ से अधिक हुआ तब आपका ग्लूकोज नियंत्रित नहीं है तथा आपको मधुमेह संबंधित समस्याएँ जैसे गुर्दे की समस्या की संभावना अधिक होती है। आपको अपने भोजन की विधि, शारीरिक गतिविधि अथवा दवाओं में फेरबदल करना पद सकता है। अपने चिकित्सक से जांच के लक्ष्य के बारे में जानिए, आपका लक्ष्य अन्य रोगियों से भिन्न हो सकता है। ध्यान रहे यद्धपि आपका A1C स्तर अधिक हो, हर एक कदम आपको मधुमेह पर नियंत्रण दिलाने में सहायक है।      
 
A1C परिणाम
मधुमेह के अधिकांशतः रोगियों हेतु ७ या उससे कम
मधुमेह नियंत्रण की विधि बदलें ८ या उससे अधिक
अंतिम परिणाम --------
मेरा लक्ष्य ----से कम
नियमित लेखा रखें
अपने हर परीक्षण का परिणाम लिख लें, इसके अतिरिक्त, क्या खाया, क्या व्यायाम किया और आपको कैसा महसूस हुआ इन सबका का लेखा भी हो तो बहुत उत्तम।  इन लेखों को अपने चिकित्सक को नियमित दिखाएँ, इससे उन्हें आपके ग्लूकोज नियंत्रण की विधि, भोजन विधि अथवा दवाएं बदलने में सुविधा होगी। किसी भी शंका का समाधान अपने चिकित्सक से करवाएँ।
यदि आप इंसुलिन लेते हों
·       ग्लूकोज का दैनिक ब्यौरा रखें
·       इंसुलिन के समय का ब्यौरा
·       इंसुलिन की मात्रा तथा प्रकार
·       आपके रक्त में या मूत्र में कीटोन थे या नहीं
·       आपने भोजन अन्य दिनों की अपेक्षा कम या अधिक लिया
·       आप अस्वस्थ थे
·       कैसी शारीरिक गतिविधि अपनाई और कितनी देर तक
यदि आप इंसुलिन न लेते हों
·       ग्लूकोज का दैनिक ब्यौरा रखें
·       अपनी दवा लेने के समय का लेखा
·       आपने भोजन अन्य दिनों की अपेक्षा कम या अधिक लिया
·       यदि आप अस्वस्थ थे
·       कैसी शारीरिक गतिविधि अपनाई और कितनी देर तक 
मधुमेह का दैनिक लेखा (उदाहरण स्वरूप) - जोखा दिनांक 10 
दिसंबर 2011 से 

   नाश्ता  से पहले  
    दवा  
   दोपहर
   भोजन के
   बाद
   दवा
   रात्रि भोज
   के बाद
   दवा
   सोते समय
     अन्य:
    व्यायाम  
   सोम  
   १०४



   १२८

   ११४

   मंगल




   १०३

   १५५
   टहले नहीं
   बुध
   १२०

   १४४

   १३२

   १२०

   गुरु
   ११०  

   १२६

   १२४

   २४८
   जुकाम से पीड़ित  
   शुक्र
   १२८

   ११४

   १०२

   १५०

   शनि
   १२७



   १६४


   अतिरिक्त भोजन किया 
   रवि
   ११५

   १२०



   १४०

जब आपका रक्त ग्लूकोज बहुत अधिक अथवा बहुत कम हो
रक्त ग्लूकोज के स्तर पर नियंत्रण के बाद भी यदा-कदा रक्त 
ग्लूकोज बहुत अधिक अथवा बहुत कम हो सकता है, ऐसी 
स्थिति में आप बीमार भी हो सकते हैं। आइए इन आपातकालीन 
स्थितियों से निपटना सीखें।
रक्त ग्लूकोज की अधिक मात्रा(Hyperglycemia) के बारें में 
जानें—
रक्त में ग्लूकोज की मात्रा १८० से अधिक नहीं होनी चाहिए। 
शरीर में इंसुलिन की कमी से ऐसा होता है। व्यायाम की कमी, 
अधिक खाना खाने अथवा दवा के नहीं लेने से ग्लूकोज की मात्रा 
अधिक हो जाती है। 
कभी-कभी अन्य रोगों की दवाओं के सेवन से भी ग्लूकोज बढ़ 
जाता है। अपने चिकित्सक को अपनी सभी दवाओं की जानकारी 
दें। बीमार होनेसंक्रमण होने अथवा दबाव से भी ग्लूकोज का 
स्तर बढ़ जाता है। बीमार होने पर अपने ग्लूकोज की मात्रा 
अवश्य देखें और मधुमेह की दवाएं यथावत लेते रहें। यदि आपका 
ग्लूकोज अधिक है तो आप को अत्यधिक प्यास एवं थकान होगी, 
धुंधली ज्योति और आपको बार बार लघु शंका जाना पड़ सकता 
है, इसके अतिरिक्त आपको पेट में भी परेशानी हो सकती है। 
यदि ऐसा अक्सर होता है तो आपको अपने डॉक्टर से परामर्श
लेना चाहिए अथवा भोजन / दवाएं बदलनी चाहिए।
ग्लूकोज के स्तर में कमी के बारे में जानें--
ग्लूकोज की कमी (Hypoglycemia) आपके रक्त में न्यूनतम 
मात्रा से भी कम स्तर की मात्रा पर कहते हैं। यदि आपने दवाएं 
अधिक मात्रा में ली हैं, खाना नहीं खाया, खाने में देर कर दी
अत्यधिक व्यायाम या मदिरा का सेवन किया हो तब ऐसा होता 
है और ऐसा बहुत जल्दी हो जाता है। कभीकभी अन्य रोगों की 
दवाएं भी ग्लूकोज की कमी कर देती हैं। ग्लूकोज की कमी से 
कमजोरी, भ्रम, चिड़चिड़ापन, भूख और थकान महसूस होती है। 
आपको सिर में पीड़ा अथवा अधिक पसीना आ सकता है। आप 
को ढीलापन महसूस हो सकता है और अधिक कमी होने पर 
मिर्गी का दौरा या बेहोशी भी हो सकती है। यदि आपको इनमें से 
एक भी लक्षण प्रतीत होता है तो सर्वप्रथम अपना ग्लूकोज जांच 
करें। यदि यह ७० से कम है तो तुरंत निम्नलिखित में से किसी 
एक का सेवन करें 
५-६ मीठी गोलियां 
·        एक चम्मच चीनी

·        एक चम्मच ग्लूकोज

·        एक चम्मच शहद

·        १/२ प्याला फलों का रस

·        १/२ प्याला साधारण शीतल पेय

·        १ प्याला दूध 
ग्लूकोज की कमी होने पर इन आपात वस्तुओं”  में से किसी 
एक के प्रयोग करें। सेवन के १५ मिनट के उपरांत ग्लूकोज की 
मात्रा जाँचें कि वह ७० से अधिक पहुंची या नहीं। इसके पश्चात 
अल्पाहार अथवा भोजन कर लें। यदि आपकी कोई भी दवा 
ग्लूकोज को अत्यधिक कम करने में सक्षम तो आप आपात 
भोजन हमेशा अपने पास रखें। आपके मधुमेह होने की पहचान 
करने वाली कंठमाला अथवा अन्य निशान सदैव अपने साथ रखें। 
यदि आप इंसुलिन लेते हों तो क्या करें 
ग्लूकोज की मई महसूस होते ही अपने ग्लूकोज की मात्रा बढ़ाने 
हेतु नाश्ता करें। ग्लूकोज की नियमित जांच, नियमित खाना 
खाने और मधुमेह की दवाएं लेने से ग्लूकोज की कमी को रोका 
जा सकता है।
यदि आप इंसुलिन न लेते हों तो क्या करें 
अपने डॉक्टर को बताएं कि आप ग्लूकोज की कमी महसूस  
करते हैंऔर विशेषतया यदि एक ही दिन में कई बार हो या 
रात को कई बार लगातार हो। अपनी अन्य दवाओं की जानकारी भी  अपने डॉक्टर को दें।